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क्या आप यह छह प्रकार के चित्रण (illustrations) जानते हैं?

चित्रण एक वह चित्र है जो हम किसी चीज़ को दर्शाने के लिएसमझने के लिए,या सजाने के लिए बनाते हैं | यह तब उपयोग होता है जब हमें किसी बात को एक दृश्य के ज़रिये बताना होता है। अखबारों से लेकर मैगज़ीनफिल्मसे लेकर विज्ञापन तकहर जगह चित्रण का उपयोग होता है | 

इसके प्रकार –

हालाँकि इसके कई प्रकार हैं, परन्तु इन्हे २ गुणतो में एकचित्र किया जा सकता है :

१. लिट्रल (literal) चित्रण

यह वह चित्रण है जिसका प्रदर्शन एकदम सच्चा हो, यानि की जो भी बनाया जाये वह एकदम वास्तविक दिखे, भले ही वह पूरी तरह काल्पनिक क्यों न हो |

२. कॉन्सेप्चुअल (conceptual) चित्रण

इसमें मुहावरिक तौर पर बनाई गए चित्रण आतें हैं, जिनकी उपज तो वास्तविक चीज़ों से होती है परन्तु अंततः काल्पनिक ही होते हैं |


लिट्रल चित्रण के कुछ उदाहरण हैं –

 

फोटोरिअलिस्म (photorealism) –

Photorealistic digital illustration on IndieFolio Blog

जब भी किसी तस्वीर की नक़ल करने की कोशिश करि जाये, या उसका हू-ब-हू चित्र बनाने की कोशिश करि जाये, उसे हम कहते हैं, फोटोरिअलिस्म (photorealism) | इसे आमूमन तौर पर पेंट ब्रश या एयर ब्रशिंग से बनाया जाता है |

उपर्युक्त चित्रण इसी प्रकार के फोटोरिअलिस्म का एक अद्भुत उदाहरण है | इसे प्रचेता बनर्जी ने बनाया है |


ऐतिहासिक/ सांस्कृतिक (historical/cultural) –

Nana Patekar Hyperrealistic painting on BananaBandy

यह मुख्य रूप से चित्र कला के इर्द गिर्द ही रहता है | यह तब से चला आ रहा है जब कैमरा की खोज भी नहीं हुई थी, तब यही एक माध्यम था किसी भी घटना या इंसान का चित्र निकालने का | हालाँकि कई बार कुछ चित्र में अतिश्योक्ति होती है, जो अपमानजनक या प्रशंसाजनक तौर पर होती है, परन्तु इनकी सजीवता अवं वास्तविक प्रदर्शन की वजह से यह लिट्रल (literal) है | उदाहरण के लिए उपर्युक्त विवेक मांड्रेकर एवं परवेज़ सोलकर द्वारा बनाये गए चित्रण को देखिये |


हाइपर रिअलिस्म (hyper realism) 

Kriti Garg Hyperrealism on IndieFolio
This is not a photograph, seriously!

वह चित्रण जो एकदम तस्वीर जैसा दिखने हेतु बनाया जाये वह इस गुट के चित्रणो में आता है | इसमें भ्रम पैदा करने वाली कुछ आकृतियों को भी डाला जाता है ताकि इन चित्रणों को और गहरा मतलब दिया जा सके, परन्तु इसकी वास्तविक आकृति को बदला नहीं जाता। इसकी जीवटता ही इसकी निशानी होती है। इण्डिफोलिओ की कलाकार कीर्ति गर्ग इस तरह के चित्रण बनाने में माहिर हैं। जाने माने हाइपर रेअलिस्म के कलाकार सचिन कमठ के साथ हमारी कुछ गुफ्तगू देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।

 


कॉन्सेप्चुअल चित्रण के कुछ उदाहरण हैं –


क्रमबद्ध कल्पना (sequential imagery) –

Perpetual Gomes comic book Hum Tum on IndieFolio

अामूमन तौर पर, किसी कार्टून या चित्रात्मक उपन्यास को क्रमबद्ध तरीके से दर्शाने को हम क्रमबद्ध कल्पना (sequantial imagery) कहते हैं । इन चित्रणों को बनाने का अंदाज़ हर व्यक्ति का अलग होता है। उदाहरण, कई लोग सिर्फ रूपरेखा बनाते हैं और फोटोशॉप से उस में रंग भरते हैं, जिससे सरलता एवं सफाई मिलती है। जब की कई लोग अखबारी राजनैतिक कार्टून बनाने के लिए सिर्फ स्याही का इस्तेमाल करते हैं जिस से राजनैतिक अव्यवस्था का वर्णन होता है। परपेचुअल गोमेस द्वारा बनाये गए नमूने को देखें।


तकनीकी रेखाचित्र (information graphics / technical diagrams) –

MGL Infographic Sales Pipe on BananaBandy

इस में तकनीकी रेखाचित्र का उपयोग होता है, इसका प्रस्तुतिकरण ज़्यादा जानकारी देने योग्य बनाया जाता है, यानि यह आत्म व्याख्यात्मक होता है। इस के कुछ क्षेत्रों में लिट्रल चित्रण भी होता है।

एम. जी. एल. इन्फोग्राफिक्स इस खेत्र में माहिर हैं।


विरूपीकरण/ निराकरण (distortion/ abstraction)

Satyaki Sarkar Melancholy abstract on IndieFolio

यह चित्रण वास्तविकता से एकदम भिन्न होता है। इसकी उपज कलाकार की कल्पनाओं से होती है। कोई भी दो अब्स्ट्रैक्ट कभी भी एक जैसे नहीं हो सकते।

बेहतर समझने के लिए सत्याकी सर्कार द्वारा बनाये गए ऐसे कई उत्कृष्ट कृतियाँ देखें।

उपसंहार

जैसा की हम देख सकते हैं, चित्रणों के कई प्रकार हैं जो अलग अलग गुटों में विभाजित किये जा सकते हैं। हाँ यह सच है की इनमे से कई एक दुसरे जैसे हैं, परन्तु इनकी गहराई में जाने से आप जानेंगे की ये किस तरह एक दुसरे से भिन्न हैं।

अगर आपको लगता है की इस लेख में हम कुछ शामिल नहीं कर पाएं हैं जो आप चाहते थे, कृपया मुझे मेल करिया (kavan@indiefolio.com) और बताइये।

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Kavan Antani

Co-Founder & CEO of IndieFolio.com, a market network for Indian creatives.

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